घर पर बनाये स्वादिष्ट गुलकंद वो भी आसानी से
अक्टूबर महीने से गुलाब का सीजन शुरू हो जाता है और पूरी सर्दी ताजा गुलाब मिलते है। यह गुलकंद बनाने की लिए बहुत उपयुक्त समय है।
गुलकंद का नाम सुनते ही गुलाब का ख्याल आता है। पान में गुलकन्द सभी पसंद करते है। आर्युवेद के अनुसार गुलकंद बहुत फायदेमंद होता है। यह पित्त को शांत करने वाला व शरीर को ठंडक पहुँचाने वाला होता है।
गुलकंद का उपयोग श्रीखंड, आइसक्रीम , शेक, चपाती रोल व ब्रेड आदि में भी किया जाता है। गुलकंद को गुलकन्द चटनी व गुलकन्द जैम के रूप में भी काम में लिया जाता है।
अक्टूबर महीने से गुलाब का सीजन शुरू हो जाता है और पूरी सर्दी ताजा गुलाब मिलते है। यह गुलकंद बनाने की लिए बहुत उपयुक्त समय है। घर पर बड़ी आसानी से बिना किसी प्रिज़रवेटिव के फायदेमंद गुलकन्द बनायें और लाभ उठायें।
गुलकन्द बनाने की सामग्री
गुलाब की पत्तियां 250 ग्राम
कुंजा मिश्री 250 ग्राम
शहद 20 मिली
कांच की बरनी ढ़क्कन वाली
गुलकंद बनाने की विधि
— कुंजा मिश्री को पीस ले।
— गुलकंद भरने के लिए काँच की बरनी को गर्म पानी से धोकर सूखा ले।
— ताजा देशी गुलाब लेकर उनकी पत्तियां डंठल से अलग करके कचरा आदि निकाल कर साफ कर लें।
— साफ करी हुई गुलाब की पत्तियों को पानी से धोकर कुछ देर छलनी में डालकर पानी निकाल ले।
— पत्तियों का पानी निथर जाने के बाद पत्तियों को साफ सूती कपड़े पर फैला दे।
— जब गुलाब की पत्तियों का पानी सूख जाए तब इन्हें बरनी में भरना है। इसका तरीका इस प्रकार है :-
— पहले थोड़ी मिश्री , फिर गुलाब की पत्तियां , फिर मिश्री व गुलाब की पत्तियां इस तरह सारी पत्तियां व मिश्री को कांच के कंटेनर में भर दे।
— इसे ढ़क्कन लगाकर धूप में रख दे।
— दूसरे दिन मिश्री पिघल जाएगी। इसे एक साफ चम्मच से हिला ले।
— इसी तरह बोतल को रोजाना धूप में रखे और रोज एक बार हिला ले।
— दस दिन बाद मिश्री पिघल जाएगी व गुलाब की पत्तियां भी गुलकन्द जैसी दिखने लगेगी।
— इसमें शहद डाल कर मिला ले।
— गुलकन्द का प्रारम्भिक रूप तैयार है परन्तु इसे पूरा बनने में लगभग एक महीना लग जाता हैं।
— गुलकंद कितने दिन में बनता हैं यह धूप की गर्मी पर निर्भर करता है यदि धूप तेज है तो थोड़ा जल्दी बन जाता है।
— स्वादिष्ट गुलकन्द बनकर तैयार हैं। इसे उपयोग में लें और आनंद उठायें।
गुलकंद बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
— गुलकंद के लिए गुलाब खुशबूदार , ताजे व देशी होने चाहिए। देशी गुलाब ही फायदेमंद होता हैं।
— गुलाब की पत्तियों को पानी में भिगोकर नहीं रखना चाहिए। अन्यथा गुलाब के पोषक तत्व पानी में निकल जाते हैं।
— पत्तियां धोने के बाद कपड़े पर फैलाकर सिर्फ पानी सुखाना है , पत्तियां नहीं सुखनी चाहिए।
— मिश्री की जगह शक्कर का भी प्रयोग कर सकते हैं परन्तु स्वास्थ्य की दृष्टि से मिश्री का उपयोग फायदेमंद रहता है।
— गुलकन्द में मिश्री या शक्कर जमे नहीं , इसके लिए शहद डाला जाता है जो की स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
— गुलकंद में किसी प्रकार के प्रिजरवेटिव की जरूरत नहीं होती है।
गुलकंद के फायदे , उपयोग तथा घरेलू नुस्खे
— गुलकन्द में नेचुरल फाइबर होता है इसीलिए यह कब्ज को दूर करता हैं। बवासीर में भी यह बहुत लाभदायक है।
— इसे खाने से पाचन तंत्र को शक्ति मिलती है। मेटाबोलिज्म ठीक होता है तथा भूख खुलती है।
— इसे गर्भवती स्त्री व बच्चों को भी कब्ज या बवासीर के लिए दिया जा सकता है।
— गुलकंद खाने से कील मुंहासे ठीक होते हैं और इससे त्वचा ग्लो करने लगती है।
— गुलकंद का लगातार उपयोग करने से अल्सर , पेट की जलन तथा एसिडिटी ठीक होती है।
— गुलकंद के उपयोग से शरीर की बदबू दूर होती है तथा यह ज्यादा पसीना आने से भी रोकता है।
— यह शरीर से विषैले तत्व निकाल कर शरीर की अंदरूनी गर्मी को शांत करता है।
— इसमे एंटीऑक्सीडेंट होते है अतः यह यह एंटीएजिंग की तरह काम करता है। शरीर में चुस्ती लाता है।
— गुलकंद खाने से गर्मी के मौसम में आने वाली नकसीर ठीक हो जाती है। यह गर्मी में के कारण लू लगना , जी घबराना ,चक्कर आना आदि ठीक होते है।
— यह पेशाब में जलन को मिटाता है। इसे खाने से पेशाब खुलकर आने लगता है।
— यह त्वचा को मखमली बनाता है। इसे खाने से त्वचा का रूखापन , खुजली , जलन , झुर्रियां आदि मिट जाते है।
— यह नर्वस सिस्टम पर अच्छा प्रभाव डालता है जिससे मानसिक तनाव और टेंशन कम होता है।
— गुलकंद खाने से माहवारी के समय होने वाली तकलीफ कम हो सकती है। ज्यादा रक्तस्राव होने पर गुलकंद खाने से लाभ मिल सकता है।
— श्वेतप्रदर में गुलकंद खाने से आराम मिल सकता है।